Sunday, 15 January 2012

बेगम पारा: अपने युग के तापमान से ऊंचा था उनका पारा


संजय लीला भंसाली की रनवीर कपूर अभिनीत फिल्म 'सांवरिया' की नायिका सोनम कपूर की दादी की संक्षिप्त भूमिका बेगम पारा ने अभिनीत की। बेगम पारा की बहन की बेटी रुखसाना सुलतान खुशवंत सिंह के छोटे भाई शाविंदर सिंह की पत्नी थीं और उनकी संतान अमृता सिंह सनी देओल की 'बेताब' की नायिका थीं और सैफ अली खान से उनका विवाह हुआ था।

बेगम पारा दिलीप कुमार के भाई नासिर खान की बीवी थीं और उनका पुत्र अयूब खान छोटे परदे पर आज भी सक्रिय है। फिल्म उद्योग में सफल कहानियां थोड़े परिवर्तन के साथ बार-बार बनाई जाती हैं और यहां रिश्ते भी खूब घूम-फिरकर सामने आते रहते हैं। 

कुछ वर्ष पूर्व सलमा आगा ने धूम मचाई थी और वे कपूर परिवार की शाखा से थीं। प्रेम अदीब के साथ बेगम पारा ने पहली फिल्म 'चांद' १९४४ में प्रभात फिल्म कंपनी के लिए अभिनीत की थी। आधा दर्जन प्रेम कहानियों में काम करने के बाद बेगम पारा ने खुरदरे एक्शन हीरो शेख मुख्तार के साथ तीन सफल फिल्में दीं- 'दादा', 'दारा' और 'उस्ताद पेड्रो'।

बेगम पारा कभी शिखर सितारा नहीं बन पाईं, जिसके तीन कारण थे। पहला तो यह कि पारंपरिक मूल्यों के उस दौर में वे बिंदास जीवन शैली वाली बाला, फिल्मी दावतों में खुलेआम पुरुषों के साथ बैठकर उनके बराबर ही पी सकने की क्षमता रखती थीं। 

कुछ क्षेत्रों पर पुरुषों का अधिकार माना गया है और जब फार्मूला सोच और ढांचों पर कोई नारी आक्रमण करे, तो मर्दों के पैर के नीचे से जमीन या कहें तथाकथित श्रेष्ठता का कालीन खिसक जाता है। अपने युग के तापमान से ऊंचा था पारा उसका। दूसरा यह कि आज जिन साहसी पोशाकों को पहनकर- करीना, कटरीना, प्रियंका इठलाती हुई आधुनिकाएं कहलाती हैं, वे सब बेगम पारा उस जमाने में पहनती थीं।

तीसरा यह कि बेगम पारा की जबान तल्ख थी। वे जैसा सोचती थीं, वैसा ही बोलती थीं। उस जमाने में कपड़ों में घूंघट की तरह, जबान में भी परदेदारी रखनी पड़ती थी। बेगम पारा जालंधर में जमीन-जायदाद वाले परिवार में पैदा हुई थीं। उनके पिता मियां एहसान उल हक जज थे। उनके भाई एम हक की पत्नी प्रोतिमा दासगुप्ता थीं। उनके खानदान में कुछ नामी क्रिकेट खिलाड़ी भी हुए हैं। बेगम पारा की तस्वीर 'लाइफ' पत्रिका में छपी थी और सरहदों पर तैनात जवान उसे सिरहाने रखकर सोते थे।

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