Sunday 24 April 2011

अन्ना हजारे के खिलाफ कक्का करोड़ीमल का अनशन

परदे के पीछे
विसंगतियों, विरोधाभासों और विकृतियों के इस दौर का सटीक वर्णन करने वाले लेखकों की कमी है या उन्हें मंच उपलब्ध नहीं है। आज हरिशंकर परसाई, शरद जोशी और राजेंद्र माथुर का स्मरण करके कुछ उनके नजदीक तक आ सकें, ऐसा प्रयास करना चाहिए। अन्ना हजारे की भूख हड़ताल के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने के लिए भारत के तमाम भ्रष्ट लोगों ने अपना मजबूत संगठन बनाया है और अध्यक्ष चुना है कक्का करोड़ीमल को, जिनके महान पिता सोनाचंद धरमचंद लखपतिया ने मिश्रित अर्थनीति के दौर में भ्रष्ट अभारत अभवन की नींव रखी थी। करोड़ीमल के आमरण अनशन के लिए लाल किले को चुना गया।



उन्होंने अपनी प्रेस वार्ता में संविधान का हवाला देते हुए उपवास प्रारंभ किया कि सभी को रोजी-रोटी कमाने की समान स्वतंत्रता प्राप्त है और यह उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है कि उन्हें रिश्वत का अवसर मिला। उनके गरीब उद्योगपतियों ने अपना पसीना बहाकर देश की प्रगति के लिए क्या नहीं किया। पांच सौ की इजाजत थी तो हजार पावर लूम लगाकर तीन शिफ्टों में काम किया। इतने लोगों को काम मिल रहा था, इसलिए जनहित में सार्वजनिक खंबे से बिजली ली। एक ही मशीन को चार भाग करके विदेश से आयात किया और राष्ट्रीयकृत बैंक से राष्ट्र की आर्थिक प्रगति के लिए चार मशीनों का ऋण प्राप्त किया।



उनको मध्यम वर्ग की खस्ता हालत सुधारनी थी, अत: शेयर बाजार को मनमोहन देसाई की फिल्मों की तरह फंतासी के रंग दिए। लोगों ने किफायत करके अपना धन लगाया। पहले इतना लाभांश मिला कि मध्यम वर्ग ने अपना सब कुछ शेयर बाजार में लगा दिया। मध्यम वर्ग ने शॉपिंग मॉल को आबाद किया। उनके फिल्मकारों ने स्विट्जरलैंड, शिफॉन और करवा चौथ का सिनेमा रचा और मल्टीप्लैक्स की श्रंखला का उदय हुआ। जनता की मस्ती बढ़ाने के लिए आईपीएल रचा। सारे महान प्रचारकों और ऊंचे दर्जे के भांडों ने शाइनिंग इंडिया की छवि गढ़ी।



अब कक्का करोड़ीमल अन्ना हजारे पर भारी पड़ने के लिए आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। देश के हर छोटे-बड़े शहर में उनसे सहानुभूति रखने वाले करोड़ों भ्रष्ट लोग भी अपने शहर के गांधी हॉल में आमरण उपवास पर बैठ गए।

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने पूरे विश्व में इस क्रांति को फ्रांस की ऐतिहासिक क्रांति से बड़ा बताया।



महान वृत्तचित्र फिल्मकार रोजनथाल, जिन्होंने हिटलर की लार्जर दैन लाइफ छवि गढ़ी थी, की नातिन भेलपूरीथाल ने कक्का करोड़ीमल पर प्रचार चित्र बनाया कि हर दिन उपवास में उनका वजन चार किलो घटता है, जिसके कारण जैसे शायर शहरयार ने लिखा है कि वह गाय जिसके सिर पर धरती घूमती है, ने अंगड़ाई ली है। करोड़ीमल के उपवास के पांचवें दिन पूरे विश्व का मौसम बदलने लगा और उपवास में लगे महान भ्रष्टाचारियों की क्रांति पर हिमालय का दिल पसीजा, बर्फ पिघलने लगी।



पूरी दुनिया में सौ सालों से हवलदारी करने वाले अमेरिका ने भारत के प्रधानमंत्री से निवेदन किया कि कक्का करोड़ीमल की सारी शर्ते मान लें, क्योंकि पूरे विश्व के मौसम में महान परिवर्तन आ रहा है। तापमान निरंतर बढ़ रहा है। आखिर इतने हजार वर्र्षो से आपके तपस्वी और आध्यात्मिक देश ने भ्रष्टाचार को सहन किया है और सुना है कि दुष्यंत की अंगूठी जिस मछली ने निगली थी, उस राजा के किचन में चौबदार को रिश्वत देकर पहुंचाया गया था।



सरकार टस से मस नहीं हो रही थी, जबकि भारत की आबादी का 95 प्रतिशत भ्रष्ट व्यक्ति कक्का करोड़ीमल के साथ था। अंत में अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भारत का हुक्का-पानी बंद करने की धमकी दी और सरकार ने शर्त्े मान लीं। सफल उपवास के बाद करोड़ीमल के डॉक्टर ने कहा कि अब आप उपवास के कारण रक्तचाप और मधुमेह से मुक्त हैं।

No comments:

Post a Comment