Friday 22 April 2011

आलटाइम १०० सर्वŸोष्ठ फिल्मों में प्यासा और नायकन 

टाइम की सूची  दस सर्वŸोष्ठ परफार्मेंस के लिए राज कपूर की आवारा और दस सर्वŸोष्ठ साउंडट्रैक के लिए मणिरत्नम की रोजा को भी चुना  गुरुदत्त की ब्लैक एंड व्हाइट कालजयी फिल्म प्यासा १९५७ में बनी थी और यह आज भी बालीवुड की सर्वŸोष्ठ कृतियों में से एक है। भारतीय सिनेमा में १९५० का दशक स्वर्ण युग माना जाता है।  एजेंसी & नई दिल्ली महान फिल्मकार और अभिनेता गुरुदत्त की कालजयी फिल्म प्यासा और बेमिसाल अभिनेता कमल हासन के बेहतरीन अभिनय से सजी नायकन को प्रतिष्ठित टाइम पत्रिका ने अपनी सर्वकालीन १०० सर्वŸोष्ठ फिल्मों में शुमार किया है।  टाइम ने प्यासा और नायकन को १०० सर्वŸोष्ठ फिल्मों में शामिल करने के अतिरिक्त दस सर्वŸोष्ठ परफार्मेंस के लिए राजकपूर की आवारा और दस सर्वŸोष्ठ साउंडट्रैक के लिए मणिरत्नम की रोजा को भी चुना है। इन फिल्मों और अभिनेताओं को टाइम के फिल्म आलोचक रिचर्ड कोॢलस और रिचर्ड शिकल ने चुना है।  गुरुदत्त की ब्लैक एंड व्हाइट कालजयी फिल्म प्यासा १९५७ में बनी थी और यह आज भी बालीवुड की सर्वŸोष्ठ कृतियों में से एक है। भारतीय सिनेमा में १९५० का दशक स्वर्ण युग माना जाता है। ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद भारतीय सिनेमा भी बदलाव के दौर से गुजर रहा था। सत्यजीत रे जहां भारतीय कला सिनेमा को नयी ऊंचाइयां दे रहे थे वहीं राज कपूर (आवारा), महबूब खान (मदर इंडिया) और बिमल राय (दो बीघा जमीन) ने भी भारतीय जनमानस को झकझोर दिया था। ऐसे समय में गुरुदत्त की एक अनाम कवि के ऊपर बनी फिल्म प्यासा ने भारतीय सिनेमा को एक नई उंचाई पर पहुंचा दिया था। उन्होंने इस फिल्म में कई ऐसे प्रयोग किए थे जो पहले भारतीय सिनेमा में देखे नहीं गए थे। गुरुदत्त खुद इस फिल्म के लेखक, निर्माता, निर्देशक और अभिनेता थे। उनकी अदाकारी, वहीदा रहमान की खूबसूरती और एस डी बर्मन के यादगार संगीत ने इस फिल्म को हमेशा के लिए भारतीय सिनेमा में अमर कर दिया।

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