Tuesday 21 June 2011

इंग्लैंड में शूटिंग और पर्यटन

इस समय भारतीय फिल्म उद्योग के अनेक सितारे और तकनीशियन इंग्लैंड में हैं। कुछ लोग वहां पर छुट्टियां मना रहे हैं और कुछ लोग फिल्मांकन करने में व्यस्त हैं। साजिद नाडियाडवाला की फिल्म ‘हाउसफुल २’ के लिए अक्षय कुमार के अतिरिक्त 27 चरित्र कलाकार शूटिंग कर रहे हैं। सैफ अली खान भी अपनी फिल्म ‘एजेंट विनोद’ की शूटिंग वहां कर रहे हैं और करीना कपूर लंदन से लौटकर सलमान खान की ‘बॉडीगार्ड’ की शूटिंग का आखिरी दौर पटियाला में कर रही हैं। पूरा कपूर खानदान भी लंदन से 22 जून को कनाडा जाएगा, जहां पर एक सड़क का नाम राजकपूर स्ट्रीट रखा जा रहा है और आईफा पुरस्कार समारोह भी 22 से 25 जून तक कनाडा में आयोजित किया जाएगा।

अनेक देशों के फिल्मकार लंदन में शूटिंग करते हैं, क्योंकि वहां शूटिंग के लिए सरकार सहायता करती है। शूटिंग के सौ लोगों की यूनिट के कारण वहां की होटलों का व्यवसाय बढ़ जाता है। यूरोप में दिन लंबे होते हैं, इसलिए आउटडोर शूटिंग कई घंटों तक संभव होती है। आज पर्यटन ब्रिटिश अर्थतंत्र की बहुत सहायता कर रहा है।

इंग्लैंड में पूरी फिल्म के शूट किए जाने पर वहां की सरकार निर्माता को आर्थिक सहायता भी करती है। कुछ समय तक भारतीय फिल्म निर्माताओं ने झूठे बजट देकर ज्यादा आर्थिक मदद पाने की कोशिश की, जिसके कारण अब उसके नियमों में परिवर्तन किया गया है। विगत कुछ समय से सभी यूरोपीय देशों में फिल्म निर्माण नगण्य हो गया है और वहां के सिनेमाघरों पर हॉलीवुड की फिल्मों का बाहुल्य है। भारतीय फिल्में भी अब अनेक गैरपारंपरिक क्षेत्रों में प्रदर्शित हो रही हैं।

ब्रिटेन की आर्थिक हालत खस्ता है और वहां सार्वजनिक विचार जारी है कि क्या सत्र न होने वाले दिनों में ‘हाउस ऑफ कॉमंस’ में पैसा देने वाले पर्यटकों को घूमने की इजाजत दी जाए! ब्रिटेन की संसद सभी संसदों की मां है। आम आदमी भी जाकर उस जगह को देखे, जहां से उसकी जिंदगी की दिशा निर्धारित होती है। अंग्रेज लोग अपनी ऐतिहासिक विरासत के प्रति हमेशा सजग रहे हैं और उन्हें सहेजकर रखा है।

वे अपने इतिहास से पैसा बनाना भी जानते हैं। एक सूखे ऐतिहासिक कुएं के गिर्द एक पब बनाकर उसमें से बीयर निकालकर पीने वालों को जायके में इतिहास का आनंद भी आता है। हम अपनी ऐतिहासिक विरासत के प्रति उदासीन रहे हैं और इतिहास में भी रुचि कम ही है। यहां तक कि इतिहास से सीखना भी हमें रुचिकर नहीं लगता। गुजश्ता साठ सालों में इतिहास में एमए करने वालों की संख्या अन्य विषयों के छात्रों से कम ही रही है।

वित्तीय संकट में फंसे ब्रिटेन समेत यूरोप के कुछ देश धन कमाने के हरसंभव रास्ते टटोल रहे हैं। कुछ बूढ़े परंपरावादी अंग्रेजों को यह पसंद नहीं कि उनकी संसद में पर्यटन प्रारंभ होने से कुछ विदेशी इमारत में स्थित बाथरूम का प्रयोग भी करेंगे, परंतु युवा पीढ़ी को इसमें कोई एतराज नजर नहीं आता है।

ब्रिटेन में राज परिवार और उनके महलों पर खर्च हुआ पैसा पर्यटन से वसूल हो जाता है। हाल ही में संपन्न प्रिंस विलियम और केट की शाही शादी के टेलीविजन प्रसारण से बहुत आय हुई है। भारत में राष्ट्रीय आय का बहुत बड़ा भाग सरकार के रखरखाव पर खर्च होता है। मितव्ययता के सारे सबक अवाम के लिए हैं। पूरे देश में अनेक भव्य सरकारी इमारतों का कोई इस्तेमाल ही नहीं होता। हर प्रांत में राज्यपाल की रिहाइश सामंतवादी पैमाने पर होती है। राष्ट्रीय ऊर्जा और साधनों का दोहन करना हम जानते ही नहीं हैं।

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