Friday 13 May 2011

शाहरुख खान की चिंता और सुरक्षा

शाहरुख खान अपनी अत्यंत बड़े बजट में बनाई गई फिल्म ‘रा. वन’ की सफलता को लेकर चिंतित हैं और उन्होंने अपनी पत्नी गौरी से पूछा कि अगर जबरदस्त घाटा हुआ तो क्या होगा। गौरी ने कहा कि विगत बीस वर्र्षो में इस उद्योग से उन्हें बहुत कुछ मिला है और इस फिल्म में बहुत कुछ डूबा भी तो क्या फर्क पड़ता है। दरअसल गौरी का आशय था कि ‘रा.वन’ की तरह तकनीकी तौर पर श्रेष्ठतम रचने के सृजन सुख के सामने पैसा क्या चीज है।

दरअसल चिंता शाहरुख का स्वभाव हो सकता है, जबकि वह जानते हैं कि उसकी असफल फिल्में भी सैटेलाइट अधिकार मिलाकर लगभग अस्सी करोड़ का व्यवसाय करती हैं और दिवाली प्रदर्शन का बोनस जोड़कर यह आंकड़ा सौ करोड़ तक हो सकता है। वह किस काल्पनिक घाटे की कौन-सी चिंता कर रहे हैं? एक सितारे की ताकत उसकी सफल फिल्म पर नहीं, वरन असफल फिल्म कितनी लागत लौटा पाती है, इस पर निर्भर करती है। बाजार में खबर है कि ‘रा.वन’ के सैटेलाइट अधिकार चालीस करोड़ रुपए में बिके हैं।

यह अजीब दौर है, जब असफल फिल्म बनाने वाले की जेब से कुछ नहीं जाता। वह दौर गया, जब गुरुदत्त को ‘कागज के फूल’ और राज कपूर को ‘मेरा नाम जोकर’ के घाटे की भरपाई के लिए सब कुछ गंवाना पड़ा था। इससे भी अजीब बात यह है कि आज सितारा निर्माता बॉक्स ऑफिस की चिंता में रतजगे कर रहा है या रतजगे की बात कर रहा है, परंतु उसकी सिनेमाई गुणवत्ता और समाज के संदर्भ में उसके स्थान को लेकर चिंता नहीं है।

शाहरुख खान ने यह भी कहा है कि आदित्य चोपड़ा ने ‘एक था टाइगर’ नामक जो फिल्म सलमान खान को दी है, वह पहले उन्हें दी जा रही थी, परंतु समयाभाव के कारण वह नहीं कर पाए। सलमान ने यह कभी नहीं कहा कि ‘चक दे इंडिया’ उनके द्वारा अस्वीकृत करने के बाद शाहरुख के पास गई थी। पैंतालीस वर्षीय शाहरुख खान को यह बचपना शोभा नहीं देता, परंतु वे जानकर टाइगर खान को छेड़ रहे हैं।

सितारों की यह आपसी चुहलबाजी केवल मीडिया के लिए रची जाती है और वे चटखारे लेकर इसे प्रकाशित करते हैं। शाहरुख के अन्यतम मित्र करण जौहर भी सलमान को लेकर फिल्म की योजना बना रहे हैं। सच तो यह है कि आज हर सुपर सितारे के साथ बनाई जा रही फिल्म में हिट या फ्लॉप होने के मारे मात्र प्रदर्शन कर देने पर करोड़ों का मुनाफा है। दबंग लहर में हर समर्थ निर्माता लाभ कमाना चाहता है और मुनाफा फिल्म उद्योग की गुटबाजी की सरहदों के पार जाता है। सिनेमा का केंद्र अन्य सभी व्यवसायों की तरह केवल मुनाफा ही रह गया है।

जीवन के हर क्षेत्र में आइपीएल ट्वेंटी ही चल रहा है। ताबड़तोड़ सनसनी रचो और बाजार को लूट लो। आज युवा वर्ग की क्रिकेट में रुचि हो या न हो, परंतु जीवन में ताबड़तोड़ 20-20 ही खेल रहा है। शास्त्रीयता के प्रति किसी को कोई आग्रह नहीं। शाहरुख खान का बड़बोलापन उनका गर्व नहीं है, यह उनका सुरक्षा कवच है। ‘आई एम द बेस्ट’ का नशा ही उनसे अठारह घंटे प्रतिदिन काम करा रहा है और काम में इस तरह डूबे रहने में ही उनकी सुरक्षा है। लोकप्रियता के घोड़े की सवारी कठिन होती है। हर आदमी अपनी पसंद की जीन कसता है, सहूलियत की एड़ी घोड़े की पसलियों में मारता है।

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