Thursday 19 May 2011

'रहस्यमयी' पुतला खेलता था शतरंज और बड़े-बड़ों को आ जाता था पसीना


हंगरी के वोल्फगैंग वॉन कैंपेलेन ने ऑस्ट्रिया की महारानी मारिया को प्रभावित करने के लिए 1770 में शतरंज खेलने की एक रहस्यमयी मशीन ईजाद की थी। 1854 में आग लगने की एक घटना में ये मशीन जल गई।इससे पहले यूरोप और अमेरिका में अपनी मशीन प्रदर्शित करने के दौरान उन्होंने नेपोलियन बोनापार्ट और बेंजामिन फ्रैंकलिन जैसे दिग्गजों को हराया। अलबत्ता कुछ लोग जरूर शक करते थे कि मशीन के भीतर कोई छिपा हुआ है और वह चाल चलता है। 1820 में लंदन के रॉबर्ट विलिस ने इसका खुलासा किया और लोगों का शक सही साबित हुआ।
फिर भी आज तक कोई पता नहीं लगा सका कि मशीन के अंदर कौन शख्स छिपा हुआ था। 1804 में ये मशीन जोहन नेपोमुक मलज़ेल ने खरीदकर इसका प्रदर्शन शुरू किया था। उनके दौर में शतरंज के जो माहिर खिलाड़ी इसमें छिपते थे, उनके बारे में जानकारी मिलती है।
ये अंदर से ऑपरेट होने वाली मैकेनिकल मशीन थी। लकड़ी के कैबिनेट शेप की ये मशीन 3.5 फीट लंबी, 2 फीट चौड़ी और 2.5 फीट ऊंची थी। इसके एक तरफ लकड़ी का एक पुतला बैठा था। काली दाढ़ी और ग्रे आंखों वाले पुतले ने तुर्की साफा बांध रखा था। उसके बाएं हाथ में लंबी तुर्की स्टाइल स्मोकिंग पाइप और दायां हाथ कैबिनेट पर रखा था। ये हाथ अंदर लीवर्स से जुड़ा हुआ था और चाल चलता था।
कैबिनेट पर 18 बाय 18 इंच का चेसबोर्ड बना था। इसमें एक तरफ तीन दरवाजे और एक दराज था। मशीन के नीचे की तरफ भी दो दरवाजे थे जो नजर नहीं आते थे। अंदर का मैकेनिकल सिस्टम काफी जटिल था। चेसबोर्ड काफी पतला बनाया गया था, जिससे उसके नीचे छिपे चुंबक काम कर सकें।
अंदर छिपे खिलाड़ी को विरोधी की चाल नीचे से समझ आ जाती थी। चुंबक इस तरह सेट किए गए थे कि विरोधी खिलाड़ी के मोहरे उनसे प्रभावित न हों। अंदर बैठे आदमी को सामने वाले की चाल पता चल जाती थी और वह लीवर्स ऑपरेट कर पुतले के हाथ से चालें चलवाता था। मशीन किस तरह काम करती है, इस पर कई किताबें लिखी गईं, लेकिन कोई भी पूरी जानकारी नहीं दे सका।
राज है गहरा
अठारहवीं सदी में हंगरी के वॉन कैंपेलेन ने शतरंज खेलने की मशीन द तुर्क बनाई थी। लकड़ी की इस मशीन पर बैठा पुतला बड़े-बड़े बुद्धिजीवियों को शतरंज में हरा देता था। बाद में पता चला कि मशीन के भीतर शतरंज का एक माहिर खिलाड़ी छिपा रहता था, जो पुतले से चालें चलवाता था। आज तक कोई नहीं पता लगा सका कि वह कौन था।

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